साझेदारी संलेख का आशय एवम मुख्य बातें

साझेदारी संलेख का आशय एवम मुख्य बातें



साझेदारी संलेख का आशय-

' साझेदारी प्रलेख' साझेदारी ठहराव' या साझेदारी संलेख' का आशय ऐसे समझौते से है जो साझेदारों के मध्य लिखित या मौखिक समझौता जिसके द्वारा भविष्य में होने वाले किसी मतभेद का फैसला सुगमता से किया जा सके, साझेदारी संलेख कहते हैं। 

साझेदारी संलेख की प्रमुख बातें:

साझेदारी संलेख में निम्न बातों का उल्लेख किया जाता है :

1 फर्म के लेखे किस प्रणाली से रखे जाएंगे। 

2. अंतिम खाते किस दिन तैयार किये जाने । 

3 साझेदारों की पूंजी का अनुपात पूजी पर व्याज देय होगा या नही आहरण पर ब्याज वसूला जायेगा या नहीं, पूंजी पर व्याज , आहरण व्याज, साझेदारों द्वारा फर्म को दिए गए ऋण पर ब्याज की दर का उल्लेख किया जाता है । 

4. साझेदारों को वेतन और कमीशन की दर लाभ हानि विभाजन के अनुपात ख्याति निर्धारण की विधि 

5. साझेदारों के अवकाश ग्रहण या मृत्यु पर हिसाब के निपटारे की विधि |

                      साझेदारी का आशय

                            साझेदारी संलेख के अभाव में लागू होने वाले नियम

                            Reconstitution of Partnership Class 12  Accountancy ।। पुनर्गठन

                        Admission of a New Partner || नये साझेदार का प्रवेश

साझेदारी सैलेख की बातों को दो भागों में बाटा जा सकता है 

(I) सामान्य बातें 

(II) हिसाब किताब संबंधी बातें 

(I) सामान्य बातें → फर्म का नाम 2. फर्म का पता 3. साझेदारों के नाम 4 साझेदारों की पूंजी 5 साझेदारी की अवधि

(II) हिसाब किताब संबंधी

 1. पूंजी - फर्म की पूंजी कितनी होगी और प्रत्येक साझेदार का उसमें कितना योगदान  रहेगा। साझेदार अपने हिस्से की पूंजी नकद लायेंगे या नहीं पूंजी पर ब्याज दिया जायेगा या नहीं और यदि दिया जायेगा तो कितना आदि बातों का वर्णन संलेख में किया जाता है।

2. साझेदारों द्वारा आहरण - साझेदारी प्रलेख में इस बात के बारे में भी स्पष्ट वर्णन होना चाहिए कि साझेदार फर्म से निजी कार्यों के लिए फर्म से कितनी अवधि के लिए, किस सीमा तक रुपया निकाल सकेंगे और इस पर उनसे किस दर से ब्यान लिया जायेगा । 

3. साझेदारों को पारिश्रमिक- लाभ के अलावा यदि किसी साझेदार को वेतन कमीशन बोनस आदि के रूप में कोई पारिश्रमिक दिया जाने की व्यवस्था हो तो उस बात का उल्लेख साझेदारी प्रलेख में किया जाना चाहिए, अन्यथा पारिश्रमिक का उसे अधिकार नहीं होगा !

                      साझेदारी का आशय

                            साझेदारी संलेख के अभाव में लागू होने वाले नियम

                            Reconstitution of Partnership Class 12  Accountancy ।। पुनर्गठन

                        Admission of a New Partner || नये साझेदार का प्रवेश

 4. लाभ हानि का विभाजन - साझेदारी प्रलेख में इस बात का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए कि लाभ हानि की गणना किस प्रकार होगी और उसका विभाजन साझेदारों में किस अनुपात में किया जायेगा 

5. ख्याति का निर्धारण- नये साझेदार को प्रवेश देते समय फर्म के विघटन के समय एवं किसी विद्यमान साझेदारी के फर्म से अलग होते समय ख्याति का मूल्यांकन किस प्रकार किया जाएगा इस बात की व्यवस्था भी साझेदारी प्रत्लेख में दी जाएगी।

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